कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। पत्नी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कैलाश साह को अपनी पत्नी को मार डालने का जरा भी पछतावा नहीं है। पहले तो वह पुलिस को अपने जुर्म से बचाव में इधर-उधर की बात कर भरमाने की कोशिश की। रोने का भी नाटक किया लेकिन जब उसपर सख्ती बढ़ी तो वह अपने रंग में आ गया। उसने कत्ल का राज किताब के पन्ने के माफिक खोल कर रख दिया। उसकी आंखों की पुतलियां इस बात का इशारा भी कर रही थी कि उसे उस जघन्य कृत्य के लिए जरा भी पछतावा नहीं। उसने कहा कि पत्नी बेवफा थी, तिल-तिलकर मरने से अच्छा उसे ही मार डालना ठीक लगा। इसलिए मुर्गा काटने वाला छुरे का इंतजाम किया और घर में लाकर छिपा दिया। रविवार की रात मौका मिल गया बस उसकी गर्दन रेत डाला। पत्नी जब कुप्पा घाट को जोड़ने वाली ओवरब्रिज पर गला रेते जाते समय तड़प रही थी तब वह उसे जी भर के कोस-कोस कर गालियां भी दे रहा था।
कितना समझाया लेकिन तुम नहीं मानी। कैलाश की माने तो कई जरायम पेशेवरों से नाता रख मादक पदार्थ का सेवन करने वाली जूली से उसे भी भय लगने लगा कि क्या पता उनकी सोहबत में वह उसे ही रास्ते से ना हटा दे। क्योंकि उसने उसकी आवाजाही और उसके दूसरे लोगों के साथ मिलने-जुलने पर नजर रखता था। आपत्ति जता कर झगड़ा किया करता था।
कैलाश ने पुलिस को जानकारी दी है कि जूली के पास शहर के कई बड़े घरों के बिगड़ैल लड़के स्मैक-ब्राउन शुगर लेने भी आते थे जिसे वह एक एंबुलेस चालक के जरिए डील किया करती थी। कुप्पा घाट आश्रम को जोड़ने वाली ओवरब्रिज पर देर शाम उसकी आवाजाही ऐसे बिगड़ैल लड़कों के आगमन पर हुआ करती थी। उसे समझाने का कितना प्रयास किया कि शायद वह अपने गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर ला सके। उसे इस बात से काफी कोफ्त होता था कि वह अपने लिए फैशन के सारे इंतजाम खुद कर लिया करती थी। उसे ना तो पूछती ना ही उसके किसी उपहार को कबूल ही किया करती थी। ना जाने कौन उसे आर्टिफिशियल ज्वैलरी दे दिया करता था, हमेशा बदल-बदल कर पहना करती थी। पूछने पर ऐसे झिड़क दिया करती थी मानों उसने पूछकर कोई बड़ा गुनाह कर दिया हो। कैलाश कहता है कि कभी तो इच्छा हुई कि वह सबकुछ छोड़ कर नेपाल चला जाए। लेकिन उसे उस बेवफा को सबक सिखाने की तड़प ने नींद उड़ा रखी थी। पत्नी ने उसे गहरा जख्म जो दे रखा था