भूमि सर्वे के दौरान दी जाने वाली वंशावली ग्रामसभा से पास करानी होगी। इसके लिए ग्रामसभा का आयोजन एक से अधिक बार हो सकता है। लेकिन, ग्रामसभा के पास कराये बिना वंशावली की कोई मान्यता सर्वे काम के लिए नहीं होगी। अगर किसी व्यक्ति की वंशावली ग्रामसभा से पास नहीं हो सकी तो इसके लिए उसके आवेदन पर फिर से ग्रामसभा बुलाई जा सकेगी। लेकिन पंचायत को प्रयास करना होगा कि गांव के हर परिवार की वंशावली एक साथ पास हो जाए।
राज्य के जिन बीस जिलों में भूमि सर्वे का काम चल रहा है, वहां मुख्यालय से अधिकारी भेजे गये तो कई जगह बिना ग्राम सभा से पास करायी गयी वंशावली अमीनों के पास पायी गयी।
सर्वे के दौरान जमीन मालिक की पहचान की जाती है। अभी पुराना सर्वे सौ साल पहले हुआ था। खतियान भी उसी समय का है। खतियाने में जमीन लोगों के पूर्वजों के नाम ही है। उसके बाद कई बार बंटवारा होकर जमीन का स्वामित्व बदल गया है। नये स्वामित्व की पहचान के लिए वंशावली जरूरी है। लेकिन आम तौर पर वंशावली मुखिया के हस्ताक्षर से ही बन जाती है। लेकिन सर्वे के काम के लिए वंशावली हर हाल में ग्रामसभा से पारित होनी चाहिए।
ग्रामसभा में वंशावली ले जाने का मुख्य उद्देश्य है कि कोई गलत वंशावली न दे सके। सर्वे के लिए वंशावली भी उस पीढ़ी से शुरू होनी चाहिए जिसके नाम से खतियाने में जमीन है। उसके बाद अगर किसी ने जमीन बेची है तो वह भी पता चलेगा कि जमीन की बिक्री सही हिस्सेदार ने की है या नहीं। पूरी वंशावली ग्रामसभा में पास होने के बाद अगली पीढ़ी के जिस व्यक्ति की जितनी हिस्सेदारी होगी उतना खेत उसके नाम पर चढ़ जाएगा।
सर्वे में यह प्रक्रिया पूरी होने से जमीन विवाद का जड़ ही खत्म हो जाएगा। बंटवारा करने की भी जरूरत नहीं होगी। जितने हिस्सेदार हैं उनके नाम सर्वे में खुद जमीन का रकबा चढ़ जाएगा। नये सिरे से म्यूटेशन कराने की भी जरूरत नहीं होगी। लेकिन इसके लिए सर्वे के समय ग्रामीणों और अमीन दोनों का चौकस रहना होगा। एक बार गलत नाम खतियान में चढ़ गया तो सुधार कराना कठिन होगा।
सर्वे वाले बीस जिले
शेखपुरा, जहानाबाद, अरवल, नालंदा, मुंगेर, जमुई, खगड़िया, लखीसराय, कटिहार, शिवहर, अररिया, किशनगंज, सीतामढ़ी, पूर्णिया, सुपौल, पश्चिम चंपारण, बांका, मधेपुरा और सहरसा
जमीन की वर्तमान जमाबंदी
3.51 करोड़ जमाबंदी है राज्य में
3.5 हजार म्यूटेशन रोज होता
1.15 करोड़ होल्डिंग की कटती है रसीद