Patna: बिहार में 'डस्टबीन घोटाले' के संकेत मिल रहे हैं. नगर निगम और नगर परिषद में मानक मूल्यों से तीन गुणी कीमत पर डस्टबीन की खरीद का खुलाशा हुआ है. सीएजी (CAG) के खुलासे के बाद सत्ता पार्टी के नेता जवाब देने की स्थिती में नहीं दिख रहे. दरअसल, बिहार कई तरह के घोटालों का गवाह रहा है. 'चारा (Fodder Sam) से लेकर अलकतरा और सृजन (Srijan Scam) से लेकर बालिका गृह कांड (Muzaffarpur Shelter Home)' तक ने बिहार की छवि को धूमिल किया है.
नए घोटाले के रूप में डस्टबीन घोटाले के संकेत मिल रहे हैं. CAG ने विधानसभा में पेश किए अपने ऑडिट रिपोर्ट में नगर परिषद सिवान और नगर निगम बिहारशरीफ में डस्टबीन खरीद में बड़े पैमाने पर लापरवाही पकड़ी है.
डस्टबीन की खरीद में नियमों की जमकर अनदेखी की गई है. CAG ने जांच में पाया कि-
- कूडेदान की खरीद में सक्षम प्राधिकारी का अनुमोदन नहीं प्राप्त किया गया था.
- टेंडर में कूडेदानों की संख्या और विशिष्ट विवरण का कहीं भी उल्लेख नहीं था.
- टेंडर संबंधी दस्तावेजों को जमा करने के लिए टेंडरदाता को तीन हफ्ते की बजाय 9 दिन से भी कम समय दिया गया.
- डस्टबीन की ब्रांडेट कंपनी का डस्टबीन 4620 रुपए में प्रति इकाई उपलब्ध था. लेकिन सीवान और बिहारशरीफ में प्रति डस्टबीन 7585 से लेकर 11285 रुपए तक पर खरीदे गए.
- सरकार लगभग 7 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.
- इतना ही नहीं 2019 में नगर परिषद सिवान में खरीदे गए डस्टबीन का दस प्रतिशत बिना इस्तेमाल किया पाया गया.
सबसे खास बात रही कि सिवान में डस्टबीन खरीद के लिए जो दर सरकार के पास भेजा गया वो 18 हजार 7 सौ रुपए प्रति यूनिट का था और बिहारशरीफ में ये दर 15 हजार प्रति यूनिट का रखा गया था, जो बेस्ट ब्रांड के उच्च मानक से भी कई गुणा ज्यादा था.
विपक्ष ने इस मुद्दे को बैठे बिठाए हवा दे दी है. आरजेडी नेता व पूर्व मंत्री विजय प्रकाश कहते हैं कि कमोबेश पूरे बिहार में ऐसी ही स्थिती है. खुद उनके जमुई जिले में कचरा हटाने के लिए कई गाड़ियां खरीदी गईं लेकिन उनका इस्तेमाल तक नहीं हुआ. डस्टबीन खरीद के नाम पर उनके इलाके में भी गड़बड़ी हुई है. मामले को लेकर कई बार उन्होंने सदन में आवाज भी उठाया था. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
कांग्रेस MLC समीर सिंह इस खुलासे के लिए सीएजी को धन्यवाद देते हैं. लेकिन पूरे बिहार में इस तरह की गड़बड़ियों का दावा भी करते हैं. समीर सिंह कहते हैं कि सरकार में कई ऐसे घोटाले हुए हैं जो उजागर नहीं हुए हैं. सीएजी के खुलासे पर सरकार को संज्ञान लेना चाहिए.
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता नवल यादव मामले पर खुलकर बोलने से बचते नजर आते हैं. नवल यादव कहते हैं कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं. हलांकि, भ्रष्टाचार के मसले पर नवल यादव इतना जरुर बोलते हैं कि भ्रष्टाचार पूरी दुनिया में हैं. समय-समय पर कार्रवाई भी होती रही है. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या ऐसी गड़बड़ियों पर सरकार की ढिलाई भ्रष्टाचारियों को मनोबल बढाएगी या घटाएगी?