Patna: बिहार के सरकारी स्कूलों में इन दिनों दाखिला हो रहा है. यहां एक खास पखवाड़ा चलाया जा रहा है जिसे 'प्रवेशोत्सव' नाम दिया गया है. लेकिन पिछले कई दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब निजी स्कूलों के छात्र बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं. राजधानी के किसी भी स्कूल आप चले जाएं, वहां आपको ऐसे बच्चे बच्चियां मिल जाएंगे जो कल तक निजी स्कूलों में पढ़ते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोगों की जेबें बुरी तरह ढीली हो गई. अब इन अभिभावकों के पास इतनी क्षमता नहीं बची कि वो अपने बच्चों की निजी स्कूलों में पढ़ाई जारी रख सकें.
पटना के गांधी मैदान से सटा कन्या मध्य विद्यालय गोलघर हो या कन्या मध्य विद्यालय अदालतगंज, यहां दाखिले लेने वालों में ज्यादा छात्र निजी स्कूलों से आए हैं.
वहीं, स्कूल में अपनी बच्ची को दाखिला दिलाने पहुंची एक महिला ने बताया कि, 'निजी स्कूल लगातार पैसे के लिए परेशान कर रहे थे. अब इतनी क्षमता नहीं बची है कि बच्चों की पढ़ाई निजी स्कूलों में जारी रख सकें. इसके पापा अब घर में ही रहते हैं. लॉकडाउन से पहले अच्छी कमाई होती थी लेकिन अब बच्चों को पढ़ाएं या फिर घर चलाएं. इसलिए बच्ची को लेकर पहुंचे हैं.'
दरअसल, कोरोना (Corona) ने लोगों की रोजी-रोटी को बुरी तरह प्रभावित किया है. इस वजह से निजी स्कूलों के बच्चे अब सरकारी स्कूल में छात्र बन चुके हैं. दूसरी ओर बिहार में मिशन एडमिशन यानि प्रवेशोत्सव के दौरान 27 लाख से ज्यादा बच्चे दाखिला ले चुके हैं. हालांकि, इसमें कितनी संख्या निजी स्कूलों के बच्चों की है इसका आंकड़ा विभाग के पास नहीं है. विभाग के मुताबिक, एक बार प्रवेशोत्सव खत्म हो जाए तो पता चल जाएगा कि निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में पहुंचे बच्चों की संख्या कितनी है.
इधर, शिक्षा विभाग को इस बात की तसल्ली है कि रिकॉर्ड संख्या में बच्चों ने दाखिला लिया है. बिहार में क्लास एक से लेकर आठ तक के स्कूलों की संख्या करीब 80 हजार है. माध्यमिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक अमित कुमार ने बताया कि, 'कोई बच्चा नहीं छूटे इसलिए हमने एक अभियान चला रखा है, 'प्रवेशोत्सव'. पूरे बिहार से रिपोर्ट आ रही है उससे काफी संतुष्टि हुई है. हमें आशा है कि ये आंकड़ा और भी बढ़ेगा. निजी स्कूलों में पढ़कर बच्चे ज्यादा सफल हों इसकी कोई पक्की गारंटी नहीं है लेकिन एक तल्ख हकीकत है कि, शायद ही कोई अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में डालना चाहते हैं.'
अमित कुमार ने आगे कहा कि, 'अगर समस्या रोजी-रोटी, पैसे और पढ़ाई की हो तो आज भी बेहतर पढ़ाई पीछे छूट जाती है. यही वजह है कि आज सरकारी स्कूलों में भारी संख्या में निजी स्कूलों के बच्चों का दाखिला हुआ है.'