लॉकडाउन में बिहार की नौ फीसद महिलाओं के साथ घर में हुआ यौन उत्पीड़न, इन 15 जिलों में हुआ सर्वे
भागलपुर [संजय सिंह]। लॉकडाउन से लोग अभी उबर भी नहीं पाए थे कि देश के कई इलाकों में फिर से लॉकडाउन शुरू हो गया। लोग आशंका जता रहे हैं कि कभी भी लॉकडाउन लगाया जा सकता है। लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को काफी कुछ झेलना पड़ा था। इस दौरान बिहार की 45 फीसद महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुईं। साथ ही छह फीसद महिलाओं को अनियोजित गर्भधारण करना पड़ा। यह सब एक सर्वे में सामने आया है।
3000 लोगों से ली गई राय : एक स्वयंसेवी संगठन द्वारा राज्य के 15 जिलों में यह सर्वेक्षण किया गया। इन जिलों के 31 प्रखंडों की 56 पंचायतों के अंतर्गत 110 गांवों के 3000 लोगों से राय ली गई। इनमें समान संख्या में, यानी एक-एक हजार महिलाएं, पुरुष व बच्चे शामिल थे। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि लॉकडाउन के दौरान अधिसंख्य पुरुष घर पर ही रहे। 98 फीसद महिलाओं ने माना कि इस दौरान उनके घरों की आर्थिक स्थिति में गिरावट आ गई। कई घरों में तो दैनिक खर्च की भी दिक्कत हो गई। महिलाओं ने माना कि जिस घर में तीन बार खाना बनता था, वहां दो बार ही खाना बनने लगा। ऐसा इस कारण किया गया, ताकि घर की आर्थिक स्थिति और अधिक ना बिगड़े।
शौचालय जाने में भी परेशानी : इसी आर्थिक तंगी के कारण घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी हुई। एक चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि नौ फीसद महिलाएं घर के अंदर यौन उत्पीडऩ की शिकार हुईं। इनमें से छह फीसद महिलाओं को गर्भ भी ठहर गया। 12 फीसद महिलाओं ने बताया कि उन्हें घूंघट में रहने के लिए मजबूर किया गया और 10 फीसद महिलाओं ने बताया कि घर में पुरुष सदस्यों की मौजूदगी के कारण उन्हें शौचालय संबंधी समस्याएं भी झेलनी पड़ी।
27 फीसद महिलाओं ने बताया यह भी रही परेशानी की वजह : 27 फीसद महिलाओं ने बताया कि मासिक धर्म के दौरान उन्हें सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। गरीब घरों में अमूमन महिलाओं के पास दो-तीन कपड़े ही होते हैं। यह माना जाता है कि मासिक धर्म के दौरान जिस कपड़े का प्रयोग किया जाता है, वह पुरुष या बच्चे का नहीं होना चाहिए। दुकानें बंद रहने के कारण महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन नहीं मिल पाई। कुछ महिलाओं ने बताया कि अमूमन घर में फटे-पुराने कपड़ो का उन्होंने मासिक धर्म के दौरान इस्तेमाल किया, लेकिन जिन घरों में महिला सदस्यों की संख्या अधिक थी, वहां परेशानी बढ़ी।
इन जिलों को किया गया सर्वे : अररिया, कटिहार, भागलपुर, खगडिय़ा, सुपौल, सहरसा, बेगूसराय, दरभंगा, पूर्णिया, मुंगेर, बेतिया, मुजफ्फरपुर, किशनगंज, गया व समस्तीपुर। सर्वे में 35 फीसद अनुसूचित जाति, एक फीसद अनुसूचित जनजाति, 10 फीसद अल्पसंख्यक, 38 फीसद अन्य पिछड़ा वर्ग और 16 फीसद सामान्य वर्ग के लोगों को शामिल किया गया। अन्य जिलों में भी सर्वे कराया जाएगा।
महिलाएं ज्यादा होती है शिकार
यदि घर में आर्थिक तंगी या मुसीबत आती है तो महिलाओं को ही उसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना होता है। यह तो लॉकडाउन के दौरान की स्थिति है, आम दिनों में भी ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। - शिल्पी सिंह
निदेशक, भूमिका विहार
लॉकडाउन में परेशानी हुई है
लॉकडाउन के दौरान शुरुआत में महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन आदि में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन बाद में मॉल आदि खुलने से स्थिति सुधर गई। हां, ग्रामीण इलाकों में परेशानी बरकरार रही। - डॉ. उमेश शर्मा, सिविल सर्जन, भागलपुर