सहरसा [कुंदन मिश्रा]। घोंघेपुर पंचायत के वार्ड नंबर 11 स्थित हरिनकट्टा भरना निवासी शंकर मुखिया का 12 वर्षीय पुत्र ननकू पांच वर्ष बाद सोमवार को घर लौट आया। ननकू मानसिक रूप से कमजोर है। स्वजन इसे ईश्वर का चमत्कार बता रहे हैं।
इलाज के लिए दिल्ली लेकर जा रहे थे स्वजन
ग्रामीणों ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व शंकर ननकू का इलाज कराने उसे लेकर ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे। ट्रेन में शंकर को नींद आ गई। इसी दौरान प्रयागराज के समीप किसी स्टेशन पर ननकू उतर गया। उस समय उसकी काफी खोजबीन की गई, लेकिन कोई पता नहीं चल पाया। मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण ना वह खुद घर लौट पाया और ना ही किसी को अपना पता बता पाया। इसके बाद थक हार कर घर वालों ने उसके वापस लौटने की आशा ही छोड़ दी थी। ग्रामीणों की मानें तो लोगों को पूरा विश्वास हो गया था कि अब वह घर लौट कर नहीं आ पाएगा। क्योंकि उसकी दिमागी हालत भी ठीक नहीं थी।
वीरेंद्र झा के प्रयास ने भी लाया रंग
उधर, रेल चाइल्ड हेल्पलाइन, प्रयागराज ने बच्चे को बिहारी जानकर बाल कल्याण समिति, पटना को सौंप दिया। बाल कल्याण समिति, दरभंगा के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार झा ने बच्चे को मैथिली बोलते देखकर पटना से दरभंगा लाया। लगातार प्रयास के बाद आखिरकार उसके स्वजनों का पता लगा लिया गया। स्थानीय मुखिया घूरन पासवान की शिनाख्त व लिखित सत्यापन पर समिति ने बच्चे को स्वजनों को सौंप दिया। ननकू के छोटे भाई विपिन मुखिया ने बताया कि हम लोग निराश हो गए थे कि मेरा भाई फिर नहीं मिलेगा। बाद में दरभंगा के बीडीओ ने वाट्सएप ग्रुप पर यह फोटो शेयर किया था। कुछ लोगों ने इसकी जानकारी दी। इसके बाद मेरा भाई वापस मिला। ग्रामीणों ने इसके लिए बाल कल्याण समिति और रेल चाइल्ड हेल्पलाइन का आभार जताया है।