मधेपुरा/1 फरवरी 2021 को सामाजिक न्याय के पुरोधा आदरणीय भूपेंद्र बाबू का 118वां जन्मोत्सव के अवसर पर श्रधांजलि सभा का आयोजन किया गया ।
ज्ञात हो कि 1952 के पहले विधानसभा चुनाव में बी. एन. मंडल कांग्रेस उम्मीदवार व संबंध में भाई लगने वाले बी.पी. मंडल (जो बाद में मंडल कमीशन के चेयरमैन बने) से मधेपुरा सीट से 666 मतों के मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। पर, अगले चुनाव में उन्होंने बी पी मंडल को हरा दिया।
1962 के लोकसभा चुनाव में सहरसा सीट से कांग्रेस के ललित नारायण मिश्रा को शिक़स्त देकर उन्होंने जीत हासिल की, पर 1964 में वह चुनाव रद्द कर दिया गया। उपचुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल कर ली थी, ऑल इंडिया रेडियो पर विजयी उम्मीदवारों की सूची में उनके नाम की घोषणा भी हो गई, भूपेन्द्र बाबू अपने समर्थकों के साथ विजय जुलूस के लिए निकल चुके थे। उनके जितने में काफी अरंगे लगाए गए परन्तु उन्होंने हर बाधा को पार किया ।
वे दो बार राज्यसभा (1966 और 1972) के लिए चुने गए। उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (चुनाव चिह्न – झोपड़ी छाप), बिहार प्रांत के संस्थापक सचिव व चीफ ऑर्गेनाइजर (1954-55), सोशलिस्ट पार्टी (चुनाव चिह्न – बरगद छाप), बिहार के अध्यक्ष (1955), सोशलिस्ट पार्टी ऑव इंडिया के अध्यक्ष (1959 एवं 1972) एवं संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) के पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष (1967) की भूमिका बख़ूबी निभाई।
उनके ही नाम पर आदरणीय समाजवादी नेता पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालू प्रशाद यादव और शरद यादव के साथ अन्य समाजवादी नेता ने मिल कर के मधेपुरा में विश्वविद्यालय की स्थापना की आदरणीय भूपेंद्र नारायण मंडल के नाम पर ।
आयोजन की अध्यक्षता कर रहे छात्र राजद के नेता नितिश कुमार उर्फ जपानी यादव ने बताया कि :
भूपेंद्र बाबू का कहना था कि जब तक इस देश पर मुट्ठी भर लोग शासन करते रहेंगे, तब तक देश की तकदीर नहीं बदलेगी। सच्चा लोकतंत्र तभी स्थापित होगा जब शासन में पिछडे, दलित और स्त्री समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित होगी। इसीलिए उन्होंने शासन में इन पिछड़े समुदायों के अलावा पिछड़े मुसलमानों और ईसाईयों के लिए 60 प्रतिशत हिस्सेदारी की मांग की जो कि दलित-पिछड़े समाज के समुदाय को जोड़ने का भगीरथ प्रयास किया ।
मौके पर मौजूद छात्र नेता अजय कुमार उर्फ किशोर कुमार और अभिलाष यदुवंशी ने संयुक्त रूप से बताया कि :
भूपेंद्र नारायण मंडल समाजवादी नेता थे. कांग्रेस विरोधी थे. ललित नारायण मिश्र को दो-दो बार हराया मगर उस वक्त चुनाव आयोग के इशारे से इनकी जीत रद्द कर दी गई थी. फिर भी यह आदमी अपनी हार को लेकर घृणा से नहीं भरा था. ग़ज़ब की दृष्टि वाले सांसद रहे हैं. इनके भाषणों में जनता कभी ग़ायब नहीं होती है. अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर बोलते हुए वे देश का प्रतिनिधित्व करने लगते हैं तो बिहार पर बोलते हुए राज्य का. किसी भी मुद्दे पर बोल रहे हों, जनता को हमेशा ध्यान में रखते हैं जिसे वे ग्रास रूट कहते हैं. कांग्रेस की सही बातों का समर्थन भी करते हैं और भी काफी ऐतिहासिक फैसले और इतिहास जुड़ी है आदरणीय भूपेंद्र नारायण मंडल के नाम से जिस इतिहास को कभी नहीं भुलाया जा सकता सकता है ।
मौके पर मौजूद थे विमलेश कुमार, संजीत सिंह यादव, रंजीत कुमार, राजेश कुमार, रविकांत कुमार, राकेश कुमार, डेविड आलम, मोहम्मद नूर आलम, मोहम्मद रहमत, मोहम्मद अमन, आशुतोष कुमार, सुशांत यादव, मृत्युंजय कुमार आदि दर्जनों छात्र उपस्थित थे।