7 डिग्री पारा चल रहा है, 31 तक और गिरेगा। मतलब, ठंड बढ़ेगी। एक मिनट के लिए सिर-कान ढंके बगैर रहना संभव नहीं। घर के अंदर भी बिना मोजा पहने रहना संभव नहीं है। हाड़ कंपाने वाली ऐसी ठंड में इंटर परीक्षा शुरू हो रही है। उस पर, मोजा-जूता नहीं पहनकर आने के बिहार बोर्ड के निर्देश के कारण अभिभावकों-परीक्षार्थियों के मन में परीक्षा से ज्यादा ठंड का डर है।
सेंटर तक की यात्रा और फिर हॉल में कंपकंपी
बिहार बोर्ड के परीक्षार्थियों के लिए सबसे बड़ा संकट परीक्षा केंद्र की यात्रा तय करना है। घर से परीक्षा केंद्र तक या तो बिना जूते के ही जाना होगा या फिर सेंटर के गेट पर पहुंचकर जूता-मोजा उतार कर परीक्षा हॉल में जाना होगा। दैनिक भास्कर ने जब परीक्षार्थियों से इस मसले पर बात की तो उनका कहना था कि इस ठंड और कोरोना काल में नियम बदलना चाहिए था। जूता और मोजा उतार कर परीक्षा देना बीमारी को दावत देने जैसा है। अगर घर से परीक्षा केंद्र की दूरी अधिक है तो परीक्षार्थियों को वहां ठहरना होगा, अगर कम दूरी है तो घर से सुबह ही निकल जाना होगा। अग समस्या है कि घर से बिना जूता-मोजा के निकलते हैं तो रास्ते में ठंड से हालत खराब हो जाएगी। अगर जूता मोजा पहन कर जाते हैं तो केंद्र पर उतारने के बाद नंगे पांव परीक्षा में बैठना होगा। दोनों स्थितियों में परीक्षार्थियों को बीमार होने का खतरा बना रहेगा।
परीक्षा हॉल में इसलिए होगा बीमार होने का खतरा
परीक्षा हॉल में परीक्षार्थियों को बीमार होने का खतरा इसलिए अधिक होगा, क्योंकि यहां अधिकतर स्कूलों में खिड़की-दरवाजों की स्थिति ठीक नहीं होती है। बच्चे जब हॉल में प्रवेश करेंगे, उस समय का तापमान काफी कम होगा। ऐसे में इस दौरान ठंड लगने की संभावना अधिक होगी। जब बच्चों की संख्या अधिक होती है तो हॉल का तापमान थोड़ा अधिक होता है, लेकिन परीक्षा के दौरान इस बार बच्चे भी कम होंगे। ऐसे में चप्पल पहनकर परीक्षा देने में परीक्षार्थियों को बीमार होने का खतरा अधिक होगा।
परीक्षार्थियों के साथ अभिभावक भी परेशान
पटना के केसरीनगर निवासी शैलेंद्र सिंह का कहना है कि बोर्ड को इस ठंड में नियम बदलना चाहिए। हर बच्चा चोर नहीं होता है। ऐसे में हर एक को एक ही पैमाने पर रखना ठीक नहीं है। बोर्ड को कुछ ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिससे नकल पर अंकुश लगे, लेकिन इसके लिए बच्चों को बीमार बनाने का जोखिम नहीं उठाना चाहिए। राजीवनगर की सुमन कहती हैं कि बच्चा बीमार होगा तो जिम्मेदार कौन होगा। बोर्ड को नकल रोकने के लिए और कोई तैयारी करनी चाहिए। जब नियम बनाया गया था, तब फरवरी में मौसम सही हो जाता था, लेकिन इस बार तो कोल्ड डे जैसे हालात हैं। ऐसे में बचाव को लेकर काम करना चाहिए। आशुतोष शर्मा का कहना है बोर्ड को कदाचारमुक्त परीक्षा कराने के लिए हर प्रयोग करना चाहिए और यह बच्चों के भविष्य के हित के लिए अच्छा भी है, लेकिन इसके लिए इस ठंड में ऐसा आदेश अच्छा नहीं है। चप्पल पहनकर केंद्र जाकर परीक्षा देने में होने वाली परेशानी के बारे में भी सोचना चाहिए। इस ठंड में इस नियम में बदलाव करना बच्चों के लिए अच्छा होगा।
बोर्ड का आदेश सेहत पर नहीं पड़े भारी, इसके लिए परीक्षार्थी कर लें तैयारी
बिना जूता-मोजा के कड़ाके की ठंड में सुबह-सुबह केंद्र पर पहुंचकर परीक्षा देना परीक्षार्थियों को बीमार बना सकता है। इससे परीक्षा छूटने के साथ सेहत से जुड़े कई खतरे हैं। दैनिक भास्कर ने बच्चों की सेहत को लेकर डॉक्टरों का पैनल बनाया और उनसे इस मुद्दे पर बात की तो कई उपाय सामने आए। फिजीशियन डॉ राणा SP सिंह का कहना है कि पैर में ठंड लगने से पैर में अकड़न के साथ कंपकंपी की समस्या हो सकती है। इसमें पैरलाइसिस का भी खतरा है। जिन परीक्षार्थियों की इम्यूनिटी कमजोर होगी, उनके साथ तो और मुश्किल है। ऐसे में बच्चों को खान-पान के साथ इम्यूनिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
सरसों का तेल लहसुन में पकाकर करें पैर में मालिश
पटना के वैद्य अखौरी प्रमोद कुमार का कहना है कि पैर में ठंड लगने से परीक्षा में दिमाग भी स्थिर नहीं हो पाएगा। इससे बुखार के साथ पेट में दर्द और अन्य गंभीर समस्या हो सकती है। बचाव के लिए बच्चों को सरसों के तेल में लहसुन पका कर पैर के तलवे में अच्छे से मालिश करना चाहिए। रात में सोते समय और परीक्षा के लिए घर से निकलते समय यह काम अवश्य करना चाहिए।
होम्योपैथ की दवाएं भी ठंड में कारगर
होम्योपैथ चिकित्सक डॉ SA रजा का कहना है कि पैर में ठंड लगने से परीक्षार्थियों को कई समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में सुबह एग्जाम देने जाते समय परीक्षार्थियों को रस्टक्स 200 की 5 बूंद ले लेनी चाहिए। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। यह दवा ठंड में काफी कारगर होती है।