पुलिस आपकी सेवा में सदैव तत्पर के स्लोगन को भरतखंड ओपी के एएसआई ने कलंकित कर दिया है। एक ई. रिक्शा चालक से एक घोड़े को धक्का लग गया जिसके बाद चालक को दबंगों ने बंधक बना लिया। इसके बाद पीड़ित को ही एक मोटी रकम भरतखंड ओपी के एएसआई को बतौर रिश्वत देनी पड़ी। हालांकि इस प्रकरण का वीडियो वायरल होने पर एसपी अमितेश कुमार ने मामले की जांच गोगरी एसडीपीओ से करवाते हुए भरतखंड ओपी के एएसआई हरेंद्र पांडेय को तत्काल सस्पेंड कर दिया। लेकिन पीड़ित का सवाल यह है कि इससे उसे न्याय कहां मिल पाता है? जानकारी के अनुसार रामपुर निवासी मो. मुर्शीद आलम ई. रिक्शा चलाते हैं। 14 जनवरी की सुबह वे ई. रिक्शा लेकर भरतखंड की तरफ जा रहे थे, जहां अचानक बीच सड़क पर घोड़ा दौड़ते हुए चला आया और ई. रिक्शा से टकड़ा गया। इसके बाद दबंग घोड़े के मालिक ने चालक को बंधक बना लिया। पुलिस को इस घटना की जानकारी तुरंत हो जाती है। फिर भी पुलिस घटना स्थल पर एक घंटे बाद पहुंची। ई. रिक्शा चालक को उठा कर थाने ले आई। जबकि ई. रिक्शा चालक को बंधक बनाने वाले लोग अपने गांव में ही रह जाते हैं। इसके बाद थाने में पुलिस अधिकारियों के रिश्वतखोरी का खेल शुरू हो जाता है।
भास्कर सवाल : क्या सिर्फ एएसआई दोषी है, जबकि थानेदार के संज्ञान में पूरा मामला था, वो कैसे बचा लिए गए
थानाध्यक्ष कक्ष में घुसकर एएसआई पहले दरवाजा को सटाता है। उसके बाद बातें शुरू होती है।
- एसआई- कितना है?
- सरपंच - सर चार हजार।
- एएसआई- (पैसे गिनकर गेब में रख लेता है और सरपंच को कहता है) जाइए हम बात करते हैं। पहले छोटा मोबाइल से फोन लगाता है। फिर बड़ा मोबाइल निकलकर उससे फोन लगाता है।
- सरपंच - कितना दिया 24 या 25? एएसआई 24 तब तक थानाध्यक्ष का फोन रिसीव हो जाता है और एसआई थानाध्यक्ष से बात करने लगता है।
- एएसआई - हां सर, ए लोग से लिखबाबे के पड़ी ना?
- थानाध्यक्ष- ....
- एएसआई - नय-नय इनका से लिखबाबे के पड़ी।
- इस दौरान एएसआई और थानाध्यक्ष के बीच 2:01 मिनट बात होती और फोन रखकर सरपंच और एएसआई थानाध्यक्ष के कमरे से बाहर थाना परिसर की ओर निकल जाता है।
थानाध्यक्ष बोले -आपके कहने से हम दोनों तरफ से आवेदन लें?
- सरपंच - हेलो
- थानाध्यक्ष - हां बोलिए। { सरपंच - जी, बहुत-बहुत धन्यवाद सर।
- थानाध्यक्ष- धन्यवाद से का। केस को कह रहे हैं तो?
- सरपंच - केस करने के लिए कह रहा है सर तो इधर से भी तो केस होना चाहिए न, क्योंकि बंधक बहोत देर से उसको क्यों बनाकर का रखा था?
- थानाध्यक्ष- उधर से कोची केस होगा?
- सरपंच- उतना देर से सर बंधक बनाके रखले था।
- थानाध्यक्ष - आपके साथ घटना होती तो आप क्या करते?
- सरपंच - बात तो सही है।
- थानाध्यक्ष- जब अभी मैनेज कर रहे हैं तब ने बैठल था वहां।
- सरपंच - सुनिए न सर, या तो दोनों पार्टी अगर मैनेज कर लेता है तो ठीक है। आप की अध्यक्षता में, नय होता है तो दोनों तरफ से आवेदन लिया जा सकता है।
- थानाध्यक्ष - दुनू तरफ से कैसे आवेदन ले लेंगे? आपके कहने से?
- सरपंच- अच्छा
- थानाध्यक्ष - एक्सीडेंट का केस करेगा, एक्सीडेंट का केस करेंगे।
- सरपंच - हमलोग को आना होगा सर क्या?
- थानाध्यक्ष- आइएगा चाहे नहीं आइएगा, उचित करेंगे हम।
- सरपंच - जी, जी, जी, ठीके है सर।
- थानाध्यक्ष- ठीक।