मधेपुरा में 15 दिसंबर को प्राउटिष्ट सर्व समाज का अंगिभूत इकाई मिथिला किसान संघ की ओर से कृषि को उद्योग का दर्जा देने की मांग को लेकर धरना दिया गया।धरना को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि आजादी से अबतक सरकार की ओर से किसानों एवं ग्रामीण जन के लिए ठोस सकारात्मक विकास कार्यक्रम तय नहीं किया गया।अभी तक अंग्रेजों की बनाई औपनिवेशिक नीति हीं थोपी जाती रही है जिसके चलते कृषि कार्य घाटे का धंधा बना हुआ है। बेरोजगारी चरम पर है।ग्रामीण अर्थवयवस्था चौपट है।लोग पलायन को विवश है।महानगरों में अनावश्यक भीड़ बढ़ रही है,जहां अपराध - अपसंस्कृति पैर पसार ते हुए पूरे देश को अपने आगोश में ले लिया है।सरकार की तीनों वर्तमान कृषि कानून पूंजीपतियों के हीं हित मे है ना कि किसानों के हित में है।कितनी बड़ी विडंबना है कि अन्नदाता ,जीवनदाता और सबसे अधिक सरकार के खजाने में पैसा जमा करने वाला वर्ग किसान फसल पैदा करता है लेकिन इसका मूल्य खुद किसान नहीं बल्कि ग्राहक तय करता है।आज कृषि और ग्रामीण जन जीवन के दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए कृषि को उद्योग का दर्जा एवं कृषि उत्पाद को कच्चे माल के रूप में बाहर जाने से रोक कर उसपर स्थानीय लोगों द्वारा सहकारिता के आधार पर उद्योग संचालित करना ही एकमात्र विकल्प है।
कृषि को उद्योग का दर्जा दिलाने का साधारण अर्थ यह है कि किसानों को अपने फसल का दाम तय करने का अधिकार मिले जैसे एक उद्योपति को अपने उत्पादन का दाम तय करने का अधिकार मिलता है।कृषक का पूरे परिवार का मजदूरी, खाद बीज का दाम के साथ यदि जोड़ के देखा जाय तो एहसास होता है कि फसल का दाम कितना होनी चाहिए। इसमें श्री रणधीर देव जी, ई० विजय प्रभात प्राउटिष्ट (पूर्व प्रत्याशी बिहारीगंज विधानसभा),श्री सुनील कुमार सुमन (पूर्व प्रत्याशी मधेपुरा विधानसभा),श्री मोहन जी,अविनाश जी,मानवेन्द्र जी,चंदेश्वरी जी,विंदेश्वरी जी, सुरेंद्र जी, छविनाथ जी,पवन देव जी,शंभू जी,शंकर जी,रौशन जी, बच्चेलाल जी, देवनारायण जी,विजय जी,सुलेमान जी सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।