पटना, राज्य ब्यूरो। सौ से अधिक नए नगर निकायों (urban bodies) के गठन (creation) से बिहार में शहरी क्षेत्र (town areas) तो बढ़ेंगे ही, रोजगार के नए अवसर (employment oppurtunities) भी पैदा होंगे। शहरी क्षेत्र की योजनाएं लागू होने से स्वरोजगार (self employment) , उद्यम (industries) आदि को बढ़ावा मिलेगा। ग्रामीण (rural) से नगर क्षेत्र में आने के कारण नए निकायों में जमीन (price of land) की कीमतें भी बढऩी तय हैं।
आमतौर पर नगर निकायों में कृषि (agricultural) , विकासशील (development) और व्यावसायिक जमीन (commercial land) चिह्नित की जाती है। इसी हिसाब से उनका सर्किल रेट (circle rate) तय होता है।
दोगुने हुए निकाय, इस बजट में दिखेगा बदलाव
बिहार में पहले 143 नगर निकाय ही थे। कैबिनेट से मंजूरी के बाद अब नए नगर निकायों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो जाएगी। नगर निगम 12 से बढ़कर 17, नगर परिषद 49 से बढ़कर 95और नगर पंचायत 82 से बढ़कर 185 हो जाएंगे। ऐसे में नगर विकास एवं आवास विभाग का बजट आकार भी बढऩा तय माना जा रहा है। शहरी क्षेत्र में लागू होने वाली केंद्रीय व राज्य सरकार की योजनाओं का आकार भी बढ़ेगा। शहरी विकास के लिए केंद्र से अधिक हिस्सेदारी मिलने से बिहार का शहरीकरण (urbanisation of Bihar ) भी तेजी से होगा।
नए सिरे से तय किए जाएंगे लक्ष्य
बिहार में नए निकायों के गठन से केंद्रीय योजनाओं से अधिक राशि मिलेगी ही, भविष्य में शहरी विकास के लिए तय लक्ष्य में भी बदलाव होगा। उदाहरण के लिए, अमृत योजना के तहत पानी की आपूर्ति , मल-जल के लिए नाला निर्माण और तेज बारिश-बाढ़ आदि के लिए ड्रेनेज व्यवस्था का निर्माण किया जाएगा। इसी तरह प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना और स्वनिधि योजना आदि का लाभ भी नए निकायों को मिलेगा।
निकाय पहले अब
नगर निगम 12 17
नगर परिषद 49 95
नगर पंचायत 82 185