Bihar News: नयी सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह सक्रिय हैं. बीते दिनों बिहार सरकार ने ऐसा फैसला लिया है जिससे आम जनता में काफी खुशी देखने को मिल रही है, तो बालू माफियाओं में हड़कंप मच गया है. दरअसल, राज्य सरकार ने 14 और उससे अधिक चक्के वाले वाहनों से बालू की ढुलायी पर रोक लगा दी है.
जनता को अब यह लगने लगी है कि बड़े वाहनों से ओवरलोड बालू की धड़ल्ले से हो रही ढुलाई के कारण चमचमाती सड़कें अब गड्ढे में तब्दील होने से बचेंगी. जाम की समस्या से अब लोगों को निजात मिलेगी. साथ ही सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी होगी. इससे राज्य में चल रहे विकास कार्यों को गति मिलेगी.
आम जनता की सोच से इतर बालू माफियाओं को अब यह चिंता सताने लगी है कि बालू घाटों से क्षमता से अधिक ओवरलोड बालू लदे ट्रकों को बनारस व अन्य मंडियों में पहुंचा कर जहां रातोंरात वे लखपति बनते थे, अब इस नियम से उनके अवैध रूप से लखपति बनने की गति को अब ब्रेक लग जायेगा.
देर से ही सही लेकिन दुरुस्त फैसला
खैर देर से ही सही एक दुरुस्त निर्णय राज्य मंत्रिमंडल ने लिया है. अब देखना यह है कि उस नियम का कितना अनुपालन रोहतास, औरंगाबाद व भोजपुर जिले के अधिकारी कर पा रहे हैं. चुकी राज्य के उजत तीनों जिलों में सर्वाधिक बालू घाट स्थित है. अगर, प्रशासन का रुख नियम के अनुपालन के लिए कड़ा रहा, तो बालू घाटों से ओवरलोड बालू की लोडिंग नहीं होगी. इससे सड़कों पर ओवरलोड बालू लदे वाहन नहीं दिखेंगे.
ओवरलोड बालू लदे वाहनों पर रोक लगाने के लिए निकटवर्ती दो अन्य जिले कैमूर व बक्सर के प्रशासनिक अधिकारियों की भी अहम भूमिका होती है. जब बालू घाटों से ओवरलोड वाहन उत्तर प्रदेश की सीमा में इन जिलों से होकर गुजरती है, तो वहां प्रशासन के मुस्तैद रहने पर बालू माफियाओं के पसीने छूटने लगते हैं. आने वाला समय ही अब यह बतायेगा कि बिहार सरकार द्वारा जारी नये निर्देशों का कितना अनुपालन हो रहा है.
डेहरी अनुमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार सिंह ने कहा कि 14 या उससे अधिक चक्के वाले वाहनों पर बालू लादने के लिए रोक लगा दी गयी है. अगर, वैसे कोई वाहन सड़क पर पकड़े जाते हैं, तो उक्त वाहन व जिस घाट से उक्त वाहन पर बालू लोड किया गया है, उस घाट के संचालक के ऊपर कानून सम्मत कार्रवाई की जायेगी.