पटना, राज्य ब्यूरो । लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (Public Health Engineering Department) ने अपने कार्यपालक अभियंताओं (Executive Engineer) को समय पर काम पूरा न करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत (authorised) कर दिया है। अब ये अभियंता ऐसी एजेंसियों को निलंबित कर सकते हैं, जिनका काम विभाग के किसी एक प्रमंडल में चल रहा है। विभाग ने यह फैसला हर घर नल का जल योजना में देरी की शिकायतों के चलते किया है। यह बुधवार से लागू हो गया। पहले यह अधिकार मुख्य अभियंता सिविल को था
इस संबंध में विभाग के अभियंता प्रमुख सह विशेष सचिव दयाशंकर मिश्र के हवाले से आदेश जारी कर दिया गया है। मालूम हो कि राज्य के 55 हजार से अधिक वार्डों में हर घर नल का जल पहुंचाने की जिम्मेवारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की है। इससे पहले पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंताओं को समय पर काम पूरा न करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार था। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में यह अधिकार मुख्य अभियंता सिविल को था। कार्यपालक अभियंताओं सिर्फ कार्रवाई की सिफारिश कर सकते थे। दंडात्मक कार्रवाई की वापसी के लिए एजेंसियों को प्रधान सचिव तक जाना पड़ता है। जांच पड़ताल की लंबी प्रक्रिया के कारण एजेंसियों पर कार्रवाई होने में देरी होती थी। कार्रवाई से एजेंसियां बच भी जाती थी।
निलंबन मुक्ति की प्रक्रिया भी पहले से सरल
विभाग ने सबसे पहले उन एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया है, जो काम खत्म होने की तारीख तक 80 प्रतिशत निर्माण भी नहीं कर पाई हैं। समान प्रमंडल की एजेंसियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई के लिए कार्यपालक अभियंता को कहा गया है। एक से अधिक प्रमंडलों में काम करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार अधीक्षण अभियंता को दिया गया है। लेकिन, इसमें भी कार्यपालक अभियंता की सिफारिश अनिवार्य होगी। एजेंसियों की निलंबन मुक्ति की प्रक्रिया भी पहले से सरल बना दी गई है। कार्यपालक अभियंता, अधीक्षण अभियंता एवं क्षेत्रीय मुख्य अभियंता की सिफारिश पर अभियंता प्रमुख किसी एजेंसी को निलंबन से मुक्त कर सकते हैं। पहले यह अधिकार विभाग के प्रधान सचिव और सचिव को था।