कोशी लाइव: धीरज कुमार
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के बी एड प्रथम वर्ष के छात्र धीरज कुमार ने विद्यालय अवलोकन के उपरांत अवलोकन पर रची कविता । मालूम हो कि छात्रों को बी एड प्रथम वर्ष के दौरान 28 दिवसीय अवलोकन कार्य के लिए अन्य विद्यालय भेजा जाता है । जिसमें छात्र धीरज कुमार को अधिक लाल मध्य विद्यालय,मधेपुरा में अवलोकन के लिए अधिकृत किया जिसमें अवलोकन किये उसके उपरांत इन्होंने इस पर एक कविता रची ।
धीरज कुमार,मुरलीगंज प्रखंड के रजनी गांव के एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं ।विभाग के पहले ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अवलोकन कार्य पर कविता रची है । कविता को देखकर विभागाध्यक्ष सहित अन्य शिक्षकों,व छात्राध्यापको ने धीरज को बधाई दी ।और आगे भी अपनी रचनाओं के माध्यम से विभाग व महाविद्यालय का नाम रौशन करने की सलाह दी।
*अवलोकन के वो अट्ठाईस दिन*
- धीरज कुमार
अवलोकन के वो अट्ठाईस दिन।
ऐसे बीता! जैसे बीता हो दो-चार दिन ।।
ऐसे तो हमलोग छात्राध्यापक थे।
लेकिन छात्रों के लिए अध्यापक थे।।
विद्यालय था हमारा,अधिक लाल मध्य विद्यालय ।
वहीं जस्ट बगल में था प्रिंसिपल सर का आलय।।
नित्य ठीक समय पर, हम सब पहुँचते थे।
सर भी, महाविद्यालय आने को निकलते थे ।।
भेंट होती, उचित निर्देश फरमाते थे।।
सर के जाते ही,चाय हमें मिल जाते थे।।
पढना-पढाना, अन्य गतिविधियाँ, यूँ ही चलता रहा।।
गणतंत्र दिवस,भूपेन्द्र जयंती आदि, मनता रहा।।
स्नेहा मैम और अलका मैम के पर्यवेक्षण में ।।
विभागाध्यक्ष व समन्वयक महोदय के निरीक्षण में ।।
हमलोगों का अट्ठाईस दिन अपना पूरा हुआ ।।
तत्काल, पूर्ण शिक्षक बनने का सपना अधूरा रहा ।।
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के बी एड प्रथम वर्ष के छात्र धीरज कुमार ने विद्यालय अवलोकन के उपरांत अवलोकन पर रची कविता । मालूम हो कि छात्रों को बी एड प्रथम वर्ष के दौरान 28 दिवसीय अवलोकन कार्य के लिए अन्य विद्यालय भेजा जाता है । जिसमें छात्र धीरज कुमार को अधिक लाल मध्य विद्यालय,मधेपुरा में अवलोकन के लिए अधिकृत किया जिसमें अवलोकन किये उसके उपरांत इन्होंने इस पर एक कविता रची ।
धीरज कुमार,मुरलीगंज प्रखंड के रजनी गांव के एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं ।विभाग के पहले ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अवलोकन कार्य पर कविता रची है । कविता को देखकर विभागाध्यक्ष सहित अन्य शिक्षकों,व छात्राध्यापको ने धीरज को बधाई दी ।और आगे भी अपनी रचनाओं के माध्यम से विभाग व महाविद्यालय का नाम रौशन करने की सलाह दी।
*अवलोकन के वो अट्ठाईस दिन*
- धीरज कुमार
अवलोकन के वो अट्ठाईस दिन।
ऐसे बीता! जैसे बीता हो दो-चार दिन ।।
ऐसे तो हमलोग छात्राध्यापक थे।
लेकिन छात्रों के लिए अध्यापक थे।।
विद्यालय था हमारा,अधिक लाल मध्य विद्यालय ।
वहीं जस्ट बगल में था प्रिंसिपल सर का आलय।।
नित्य ठीक समय पर, हम सब पहुँचते थे।
सर भी, महाविद्यालय आने को निकलते थे ।।
भेंट होती, उचित निर्देश फरमाते थे।।
सर के जाते ही,चाय हमें मिल जाते थे।।
पढना-पढाना, अन्य गतिविधियाँ, यूँ ही चलता रहा।।
गणतंत्र दिवस,भूपेन्द्र जयंती आदि, मनता रहा।।
स्नेहा मैम और अलका मैम के पर्यवेक्षण में ।।
विभागाध्यक्ष व समन्वयक महोदय के निरीक्षण में ।।
हमलोगों का अट्ठाईस दिन अपना पूरा हुआ ।।
तत्काल, पूर्ण शिक्षक बनने का सपना अधूरा रहा ।।